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सावन माह का परिचय:-
आपको बता दूं कि सावन मास (श्रावण मास) हिंदी कैलेंडर के अनुसार हिंदू पंचांग के पांचवे महीने को कहा जाता है। और यह जुलाई और अगस्त महीने के बीच मनाया जाता है इस माह को भगवान शिव का महा कहा जाता है। इस माह में हिंदू लोग भगवान शिव के पूजा आराधना करते हैं यह सावन माह 1 माह तक चलता है पर 2023 में 2 माह तक सावन है। और इस बार कुल 8 सोमवारी है।
2023 में सावन का पहला दूसरा तीसरा चौथा पांचवा छठा सातवां आठवां सोमवारी कब है ?
इस बार यानी 2023 में कुल 8 सोमवारी हैं।
•पहला सोमवारी 10 जुलाई 2023 •दूसरा सोमवारी 17 जुलाई 2023 •तीसरा सोमवार 24 जुलाई 2023 •चौथा सोमवार 31 जुलाई 2023 •पांचवा सोमवारी 7 अगस्त 2023। •छठा सोमवारी 14 अगस्त 2023 •सातवां सोमवार 21 अगस्त 2023। •आठवां सोमवार28अगस्त2023
सावन माह का महत्व क्या है?
हम आपको सावन माह का कुछ महत्वपूर्ण महत्व बताएंगे।।
(i) कांवर यात्रा
सावन माह में कांवरियों की यात्रा का आयोजन किया जाता है कांवरियों द्वारा गंगाजल से शिवजी की पूजा की जाती है इस माह में सभी कांवरिया अपना कांबर बनवा के ले जाते हैं और इस दौरान कमरिया लाल वस्त्र भगवा वस्त्र एवं पीला वस्त्र का धारण करते हैं क्योंकि यह वस्त्र शुभ माना जाता है यह यात्रा बहुत महत्वपूर्ण है और कंबरिया बड़ी श्रद्धा से 100 किलोमीटर तक पैदल यात्रा करते हैं और भगवान शिव पर जल चढ़ाते हैं।
(ii) शिवलिंग पूजा
सावन माह में भगवान शिव की पूजा की जाती है इस माह में भगवान शिव के ऊपर गंगाजल धूप फूल बेलपत्र चढ़ाने का विशेष महत्व माना जाता है सावन माह में भक्त भगवान शिव की कई विधियों से पूजा अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं।
(iii) व्रत और उपवास
सावन माह में बहुत से लोग सावन सोमवार के व्रत और उपवास रखते हैं यह व्रत अधिकतर मात्रा में स्त्री करती हैं या व्रत भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद पाने का एक अच्छा माध्यम माना जाता है।
(iv) मेहंदी सिंदूर एवं वस्त्र का महत्व
इस माह में महिलाएं भगवान शिव की पूजा करती हैं और अपने हाथों पर मेहंदी हरी चूड़ी पहनती हैं विवाहित महिलाएं इस महा मैं अपने पति के लंगोटे में सिंदूर भरकर सुहागन का प्रतीक मानती है इस माह में हरि रंग का वस्त्र पहनना ज्यादा पसंद किया जाता है।
(v) सावन सोमवार व्रत
सावन माह के सोमवार के व्रत को भगवान शिव का विशेष दिन माना जाता है इस दिन लोग व्रत पूजा और ध्यान करते हैं जिससे भगवान शिव की कृपा बनी रहे सावन सोमवार व्रत का और महत्व है जो हम आपको आगे बताएंगे।
सावन सोमवार व्रत का क्या महत्व है?
सावन माह के सोमवार व्रत को शिव पुराण में विशेष महत्व दिया जाता है। इस व्रत का महत्व भगवान शिव की कृपा प्राप्ति सुख शांति संतान प्राप्ति और दुखाओ के निवारण के लिए माना जाता है। इस व्रत को भारत के गृहस्थ हिंदू महिलाएं और पुरुष रखते हैं। व्रत सावन मास के पहले सोमवार से शुरू होती है। और सावन के अंतिम सोमवार तक चलती है। इस व्रत में व्यक्ति दिनभर उपवास रखते हैं। और शिवलिंग पर जल धूप बेलपत्र चढ़ाकर पूजा करते हैं।
सावन सोमवार व्रत के महत्वपूर्ण लाभ-:
i >भगवान शिव की कृपा:- जो इस व्रत को श्रद्धा से करते हैं उन्हें भगवान शिव की आशीर्वाद की प्राप्ति होती है और भक्तों के जीवन खुशियों से भर देते हैं।
ii> संतान प्राप्ति :- सावन सोमवार के व्रत को संतान प्राप्ति के लिए भी मान्यता प्राप्त है। जो पति-पत्नी इस व्रत का पालन करते हैं उन्हें संतान प्राप्ति की कृपा मिलती है।
iii > दुखों के निवारण:- इस व्रत को करने से घर में आने वाली दुखों का निवारण होता है।
iv > सुख शांति :- जो इस व्रत को करते हैं उनके घर में सुख शांति की कृपा बनती है।
v> पापा का नाश:- जो व्यक्ति इस व्रत को करते हैं उनके पापों का नाश हो जाता है और उनके ऊपर शिव की कृपा बनी रहती है।
सावन में पुजा का कैसे करे?
आप निम्न बातों को ध्यान में रखकर पूजा कर सकते हैं।
● पूजा करने के लिए एक स्थान की तैयारी:- एक पवित्र स्थान चुनें जहां आप अपने पूजा कर सकते हैं इसके लिए पूजा कक्षा का स्थापना करें और उसे सजाएं एक भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें
● नित्य दिन पूजा उपचार:- सावन माह में नित्य दिन पूजा करे पूजा करते समय भगवान शिव को जल, दीप ,धूप ,अक्षत ,बेलपत्र ,चंदन, कपूर, पंचामृत ,दूध ,दही ,घी, शहद फल, पुष्प, के साथ पूजा करें और पूजा करते समय " ऊँ नमः शिवाय" का जाप करें।
● शिव चालीसा और भजन:- सावन में शिव चालीसा और भजन का पाठ करें ।
👉आपको बता दूं कि यह सामान्य निर्देश है और आप अपनी आस्था और प्राथमिकता के आधार पर अपना पूजा और आराधना का तरीका चुन सकते हैं एवं अपने श्रद्धा से पूजा कर सकते हैं।।
सावन महा पौराणिक कथाएं समुंद्र मंथन:-
कहा जाता है कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन का युद्ध हुआ था इस मंथन के दौरान कई महत्वपूर्ण सामग्री ,रत्ना, और अमृत, एवं जहर मिले जो भगवान से इस दुनिया को बचाने के लिए सारा जहर खुद पील लिए थे। इसी जहर को ठंडा रखने के लिए भगवान शिव को गंगाजल चढ़ाया जाता है।।
श्रवण पूर्णिमा रक्षाबंधन सावन पूर्णिमा 2023:-
जिसे राखी पूर्णिमा भी कहा जाता है इस पूर्णिमा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है इस दिन बहन अपने भाई की रक्षा के लिए भाई के कलाई पर राखी बांधती हैं और भाइयों को उनकी रक्षा और लंबी आयु की कामना करती हैं ।
सावन पूर्णिमा के दिन बहन अपने भाई को एक सुंदर राखी बनती है जो रक्षा सूत्र मैं संबोधित होती है अपने भाई की प्रेम और रक्षा का प्रतीक मानती है बहन अपने भाइयों को बधाई देती हैं और उन्हें मिठाई खिलाती है। और इसके बदले में भाई अपनी बहन को तोहफा और आशीर्वाद देते हैं।
राखी पूर्णिमा का महत्व धार्मिक और सामाजिक दोनों होता है। इसे राखी बांधने के रिश्ते का प्रतीक माना जाता है, जो भाई-बहन के प्यार, सम्मान, और सहयोग को दर्शाता है। इस दिन भाईयों को अपनी सुरक्षा का वचन दिया जाता है और उन्हें खुश रखने का प्रतिज्ञान किया जाता है। इसके अलावा, इस दिन कई लोग धार्मिक स्थलों पर जाकर आराधना और पूजा करते हैं।
राखी पूर्णिमा को सावन मास की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है, जो मार्गशीर्ष नक्षत्र (श्रवणा नक्षत्र) के दिन पड़ती है। इस दिन लोग विशेष रूप से राखी बांधने का महान उत्सव मनाते हैं और अपने प्यारे भाईयों के साथ खुशियां बांटते हैं।
श्रवण पूर्णिमा रक्षाबंधन सावन पूर्णिमा 2023 में कब है?
हम आपको बता दें कि इस बार यानी कि 2023 में रक्षाबंधन बुध, 30 अगस्त, 2023 को मनाया जाएगा
सावन माह में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहार और मेले :-
- हरियाली तीज
- नाग पंचमी
- तीज
- कांवर यात्रा मेले
सावन माह में करने योग्य शुभ काम:-
- शिव पूजा
- सावन सोमवार व्रत
- संस्कृतिक कार्यक्रम
- कांवड़ यात्रा
- दान और सेवा
विशेष सावन पूजा मंत्र:-
सावन माह में विशेष पूजा पाठ और मंत्रों का जाप भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यहां कुछ प्रमुख सावन माह की पूजा पाठ और मंत्र दिए गए हैं:
i. ॐ नमः शिवाय मंत्र:
यह मंत्र भगवान शिव की प्रशंसा और आराधना के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका जाप करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
ii. महामृत्युंजय मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
यह मंत्र भगवान शिव की कृपा प्राप्ति, रोग निवारण और आयु की वृद्धि के लिए प्रयोग किया जाता है।
iii. शिव ताण्डव स्तोत्र:
यह स्तोत्र भगवान शिव के गुणों की प्रशंसा करता है और उनकी आराधना करता है। इसका पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और उनका आशीर्वाद मिलता है।
iv. शिव चालीसा:
शिव चालीसा भगवान शिव की महिमा का गुणगान करती है। इसका पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों को सुख-शांति मिलती है।
नोट -आपको बता दूं कि यह सामान्य निर्देश है और आप अपनी आस्था और प्राथमिकता के आधार पर अपना पूजा और आराधना का तरीका चुन सकते हैं एवं अपने श्रद्धा से पूजा कर सकते हैं।।
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